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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।

अथवा
आणविक भयादोहन क्या है? इसकी अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इसके मूल तत्वों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
भय निवारण के तत्वों की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

भयादोहन की अवधारणा
(Concept of Nuclear Deterrence)

भयादोहन का इतिहास युद्धों के इतिहास के जैसा पुराना है। इतिहास में किसी ऐसे युग का प्रादुर्भाव नहीं हुआ जिसमें अपने प्रतिद्वन्दी राष्ट्रों या समाज की शक्ति, प्रभाव क्षमता को देखते हुए. अनेक राष्ट्रों ने मनोवैज्ञानिक दबाव एवं भय से उन्होंने ऐसे राष्ट्र एवं समाज से टक्कर लेने से मना किया हो। यही नहीं भयादोहन का अस्तित्व हर काल में किसी न किसी रूप से बना रहा हैं भले वह सिन्धु घाटी युग की सभ्यता हो अथवा अन्तरिक्ष युग की। हम यह बात जानते हैं कि मानव स्वभाव से ही अधिनायकवादी (Dictatorial ) रहा है। अतः वह अपने परिवेश से अधिक शक्ति अर्जित करना चाहता है। अगर मानव के मन से भय समाप्त हो जाए तो वह सारी व्यवस्था छिन्न-भिन्न कर सकता है। दण्ड का भय समाज से लेकर राष्ट्र तक किसी न किसी रूप में दृष्टिगोचर होता है और इसी से व्यवस्था में नियमों का पालन करना तथा उन्हें न तोड़ने की भावना विकसित होती हैं।

आज के युग में भयादोहन का महत्व अधिक बढ़ गया है, जब आणविक शस्त्रों की दिन-प्रतिदिन बढ़ती क्षमता को देखते हुए मानव जाति के भविष्य के बारे में अटकले लगाई जा रही है। इस सन्दर्भ में हम जंगल के शेर का उदाहरण दे सकते हैं जिसका भय पूरे जंगल में व्याप्त है तथा उसकी दहाड़ जंगल के जानवरों को आंतकित किये जाने के लिए काफी है। इसी कारण शेर के प्रभाव क्षेत्र में शान्ति बनी रहती है। यदि कभी कोई जानवर सामने आ भी जाए तो यह अपनी शक्ति का प्रयोग करके उसे चेतावनी देता है यदि जानवर इसे अनसुना करे तो वह छलांग लगाकर उस पर प्रहार कर देता है। पूरे जंगल के राजा से व्याप्त भय शान्ति बनाये रखने में बहुत सहायक सिद्ध हुआ है।

हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराये गये परमाणु बम के भयानक प्रभाव को देखते हुए आज पूरे विश्व ने तीसरे परमाणु बम का प्रयोग करने का साहस नहीं लिया। यह भयादोहन का ही प्रभाव है, जो इस प्रकार तीसरे महायुद्ध की विभीषिका से आज तक बचा हुआ है। दक्षिण कोरिया, क्यूबा वियतनाम, अमेरिका, दक्षिणी एशिया तथा पश्चिमी एशिया में अनेकानेक विस्फोटक परिस्थितियाँ इस समय उत्पन्न हो रही हैं परन्तु परमाणु युद्ध की शुरूआत कोई नहीं कर सका। इतना ही नहीं कुवैत पर ईराकी कब्जे को लेकर बहुराष्ट्रीय सेनाओं और ईराक के मध्य छिड़े युद्ध में भी परमाणु बम का प्रयोग नहीं हुआ परन्तु विश्व के अनेक प्रेक्षकों का मानना ये था कि ईराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन अपनी बाजी जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे में परमाणु हथियार उनकी जीत होगा।

भयादोहन की अवधारणा को देखते हुए श्लीचर ने लिखा है कि-

"यदि भयादोहन असफल हो जाए तो युद्ध को रोकने के लिए तथा युद्ध लड़ने के लिए शस्त्र चाहिए। चाहे भयादोहन शब्द का महत्व परमाणु युग में ही बढ़ा है लेकिन यह अवधारणा पुरानी है। इसका अर्थ है कि राज्य, जो एक प्रकार से युद्ध कर सकता है, को ऐसा करने से रोक लिया जाता है क्योंकि वह महसूस करता है कि इससे कोई विशेष लाभ नहीं होंगे।'

इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज के प्रथम डायरेक्टर मेजर जनरल सोमदत्त के अनुसार-

"हमारी शक्ती और प्रहार की दृढ़ निश्चयता के समक्ष शत्रु के पास फिलहाल कोई जवाब न हो यही भयादोहन की अनिवार्य आवश्यकता है।'

मेजर जनरल वाई. एस. परांजये ने भयादोहन के सन्दर्भ में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है - " भयादोहन तभी सम्भव है जब हम इतनी क्षमता प्राप्त कर लें कि शत्रु को किसी समय अप्रत्याशित ढंग से इस स्तर का नुकसान पहुँचा दें जिसकी कि वह (शत्रु) कल्पना भी न कर सकता है।"

G. D. Deshingkar ने अपने एक शोध लेख में इस तथ्य पर जोर दिया है कि भयादोहन की नीति के द्वारा अपनी प्रबल क्षमता को इस प्रकार प्रतिपक्षी के मन मस्तिष्क में डाल देना जिससे यदि कभी भी उसके मन में थोड़ा-सा भी विचार बदले तो इस प्रबल क्षमता को चाहते हुए भी वह सैन्य बल का प्रयोग करने का साहस न कर सके।

विश्वसनीयता भयादोहन का आधार है। भयादोहन एक प्रकार की धमकी, मनोवैज्ञानिक दाब एवं चाल है तथा विश्वसनीयता इसका रूप तथा सफलता का राज है।

आणविक आतंकवाद का रूप भी दिन-प्रतिदिन भयावह होता जा रहा है। यह बात ध्यान रखने योग्य है कि आतंकवाद आणविक आतंकवाद के बीच स्पष्ट विभाजक रेखा है। आतंकवाद कमजोर का शक्तिशाली के विरुद्ध प्रयुक्त किया जाने वाला एक हथियार है। आणविक आतंकवाद के द्वारा शक्तिशाली से शक्तिशाली को भी किसी समय भी झुकाया जा सकता है, साथ ही इसकी सामर्थ्य असीमित होती है।

न्यूयार्क के प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वहां के जल वितरण साधन में अचानक अप्रैल 1985 में रेडियोधर्मी लूटोनियम का स्तर काफी ऊँचा पाया गया। न्यूयार्क के मेयर को एक बेनाम पत्र इस घटना से पहले प्राप्त हुआ था जिसमें यह चेतावनी दी गयी थी कि पानी एकत्रित करने वाले केन्द्रों को जहरीला बना दिया जाएगा। न्यूयार्क के मेयर कौच ने बार-बार नागरिकों को यह आश्वासन दिया कि सप्लाई किये जाने वाले जल से खतरा नहीं है और पानी पीने योग्य है। इन आश्वासनों के साथ उन्होंने इस तथ्य के रहस्य का भी उद्घाटन किया कि लूटोनियम के स्तर में वृद्धि के कारण इस क्षेत्र में हुआ आणविक परीक्षण कभी नहीं हुआ है किन्तु इस सम्भावना से इन्कार भी नहीं किया जा सकता कि यह कार्य आतंकवादियों ने ही किया है।

इस घटना से यह स्पष्ट हो चुका है कि अब आतंककारी किसी भी समय किसी देश के जल एवं वायु के माध्यमों को सेकेण्डों के भीतर इतना विषैला बना सकता है कि मानव के शरीर में इस जल या वायु की अल्पमात्रा पहुँचने से ही जीवन समाप्त हो सकता है। उदाहरण के लिए लूटोनियम तो स्वयं ही एक अत्यधिक विषैला पदार्थ है किन्तु लूटोनियम ऑक्साइड का चूर्ण यदि हवा के साथ मिल जाए और उसका एक अंश भी नाक या मुँह से मनुष्य के शरीर में चला जाए तो उससे मनुष्य की मृत्यु भयावह हो सकती है। इसका विषैलापन कोबरा के जहर से तथा पोटेशियम साइनाइड जैसे विषैले रासायनिक पदार्थ से 20,000 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।

भयादोहन के मूल तत्व

भयादोहन की सफलता और इसकी आवश्यकता निम्नलिखित तीन तत्वों पर टिकी है-

1- संसूचना या संचार साधन संसूचना या संचार साधनों के माध्यम से ही यह पता चलता है कि कोई पक्ष क्या चाहता है। अधिकतर यह देखा गया है कि धमकी वाला राष्ट्र अपने मन्तव्य को स्पष्ट कर देता है कि उनकी निर्धारित सीमा का क्या दायरा है और यदि इस निर्धारित सीमा को पार करने का प्रयास हुआ तो वह क्या करेगा कभी-कभी संचार साधन की गड़बड़ी के कारण समस्याएं बड़ी ही जटिल हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में नीति निर्धारकों तक पहुँचते सामर्थ्य या क्षमता पहुँचते संसूचनाए ऐसी हो जाती हैं कि नीति निर्धारक विपक्षी के प्रति निर्णय लेने में गलती कर देते हैं। इस प्रकार विलम्ब के कारण भयादोहन की प्रक्रिया असफल हो जाती है।

2- सामर्थ्य या क्षमता सामर्थ्य या क्षमता भयादोहन का मूल आधार है किन्तु भयादोहन की आवश्यकताओं को केवल भौतिक साधनों के रूप में ही नहीं देखा जा सकता कि वह विपक्ष को कहाँ तक क्षति पहुँचा सकता है। भयादोहन के लिए यह आवश्यक है कि यदि यह कोरा झांसा पट्टी नहीं पढ़ा रहा है तो उसमें इतनी क्षमता है कि वह अपने विपक्ष पर इतनी अधिक क्षति कर दे कि उसे बिल्कुल विश्वास न हो। किन्तु चुनौती देने वाला राष्ट्र या वह राष्ट्र जिसके विरुद्ध अथवा जिसको भय दिखाया जाए वह राष्ट्र की क्षमता का पूर्ण मूल्यांकन कर ले और उसके साथ ही अपने हानि-लाभ का सही आकलन कर सके।

आणविक युग में हानि की सम्भावना उत्तरोत्तर व्यापक होती जा रही है। भयादोहन को सफल करना है तो विश्वसनीयता अति आवश्यक है।

3. विश्वसनीयता भयादोहन का प्राण विश्वसनीयता है। इसकी नीति के सफल क्रियान्वयन की यह शर्त है कि विपक्षी राष्ट्र में यह पूरा बोध होना चाहिए कि यदि उसने निषेधित कार्य किया तो उसे अत्यधिक हानि का सामना करना पड़ेगा और लाभ की सम्भावना बिल्कुल कम ही होगी।

स्थिति में जटिलता उस समय आती है जब दो राष्ट्रों में इतनी सामर्थ्य हो कि एक-दूसरे को समान रूप से क्षति पहुँचा सकें। किन्तु कुछ बिन्दु ऐसे होते हैं जहाँ स्थिति बदल सकती है। यदि समान क्षमता के बाद भी कोई पक्ष दूसरे पक्ष के सैनिक अड्डों व गुप्त सूचनाओं के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर गया हो, तो इससे प्रहारक क्षमता की विश्वसनीयता बढ़ जाएगी।

निष्कर्ष हम सब एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ जीवन के लिए संघर्ष आवश्यक है और आज के युग में ऐसा माना जा रहा है कि अस्तित्व की रक्षा के लिए आणविक शस्त्रों का होना अति आवश्यक है, क्योंकि इसमें शत्रु को दहला देने की क्षमता होती है। यदि इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाए तो अनेकों बार भयादोहन के समाप्त हो जाने पर महायुद्ध की स्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं अनेकों राष्ट्रों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है।

वर्तमान समय में हजारों परमाणु इस दुनिया में उपस्थित हैं जो प्रयोग होने के लिए बिल्कुल तैयार हैं जिससे मानव जाति के समक्ष गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।

सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार आणविक संकट टालने के लिए आणविक युग में भयादोहन को किसी भी स्थिति में असफल होने की अनुमति न दी जाए। जैसा कि श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भी

अपने जीवन काल में कहा था कि किसी युद्ध को जीतने का सबसे अच्छा तरीका यह होना चाहिए कि उस युद्ध को प्रारम्भ ही न होने दिया जाए। इस लक्ष्य की प्राप्त के लिए भयादोहन एक उत्तम हथियार है, क्योंकि आज के युग में परमाणु विश्वसनीयता सर्वव्यापी है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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